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Osho World Online Hindi Magazine :: April 2013
वशे ष
नक केप चीस हजार! तु म जै सेहो, मु झे वीकार हो। मगर यह ‘खोटे ’ वगै र ह होनेका अहं कार मत घो षत करो। येतरक ब नह ं । खोटेहो, तो ठ क। या हजा? कौन खोटा नह ंहै ? मगर खोटेक घोषणा करकेतु म इस ां त म न पड़ो क तु म दस ए जा रहेहो। वह मोह भीतर छपा है । ूरो सेव श ट हु अब तु म कह रहेहो क ‘आपक कृ पा सेमे र ा तमस शां त हो गया है ।’ मे र कृ पा सेअगर लोग का तमस शां त होनेलगेतो म सार द ु नया का तमस शां त कर दं ।ूमे र कृ पा सेकु छ भी नह ंहोता। तु म मे र ं शसा मत करो। तु म मे र शं सा सेकु छ भी नह ंपा सकतेहो। मु झेधोखा दे ना असं भव है । म कसी तरह क तु म जो यह कह रहेहो-’आपक कृ पा सेमे र ा तमस शां त हो गया है ’-इस कहनेम ह तमस मौजू द है , अं धे र ा मौजू द है ।
तु त म भरोसा नह ंकरता।
तु म सोच रहेहो उसी ढं ग से , जै सेआम आदमी को भा वत कया जाता है । हां , कसी राजने ता सेजा कर कहोगे क ‘आपक कृ पा से ’ तो वह आ ला दत हो जाये गा। कसी महा मा सेकहोगेक आपक कृ पा सेऐसा हो गया, तो वह आ ला दत हो जाये गा। म अहमदाबाद सेबं बई आ रहा था। एक यि त एकदम मे रेपै र पर गर पड़ा हवाई जहाज म। जै सेह म अं दर गया, एकदम मे रेपै र पर गर पड़ा और कहा क ‘आपक कृ पा सेगजब हो गया।’ मनेपू छा, या गजब हो गया, म थोड़ा समझ लू । य क मनेकसी पर कोई कृ ं पा नह ंक । इस लए म िज मे वार नह ंहो सकता हू ं ।’ वह थोड़ा च का य क उसनेऔर बहु त सेमहा माओ ंपर यह चाल चलायी होगी, यह तीर चलाया होगा। और जै सेमहा मा है , उन पर यह तीर एकदम चलता है । उनकेपै र पर गर पड़ो और कहो, ‘आपक कृ पा सेघर म ब चा हो गया, मु कदमा जीत गया, नौकर लग गयी’, तो वेमुकरा कर सर हलातेह और कहतेह क ठ क! ठ क ब चा! अरेमे र कृ पा से या नह ंहो सकता।’ यह आदमी थोड़ा च का। मनेकसी पर कृ पा ह ंनह ंक । कब हु ई यह कृ पा? कै सी कृ पा और
या हु आ ?’
उसनेकहा, ‘नह ं , आप छपानेक को शश न करो।’ मनेकहा,‘नह ंम छपानेक को शश नह ंकर रहा। म सफ यह जानना चाहता हू ंक
या, हु आ
या है ?’
उसनेकहा, ‘म मु कदमा जीत गया।’ मनेकहा, म मु कदम िजताता हू ं ? और स चाई
या थी-मु कदमा तु झेजीतना था क नह ं ? तू नेकया
उसनेकहा, ‘अब आपसे या छपाना? सं भावना तो मे रेहारनेक थी,
या था?
य क मे र ा मामला झू ठ ा था। मगर आपक कृ पा से या नह ंहो सकता।’
तो मनेकहा, ‘दे ख, तूनरक जाये गा, और मझ गा। तूभै या अके ला जा। और अगर मझ ुेभी लेचले ुेनरक लेचलना हैसाथ म, तो कतना अदालत से ?’ उसनेकहा, ‘ क कोई पचास हजार
पया जीता है
पया।’ तो मनेकहा,‘प चीस हजार मझ । बात ख म कर। अगर नरक भी चलना है , तो म मुत नह ंजाऊं गा।’ ुेदेदे
वह बोला,‘ अरेनह ं -नह ं , आप जै सेमहापुष को कहांपै सेसेपड़ी।’ मनेकहा, ‘दे ख, यह नह ंचले गा। नरक जातेव त म भी फसू गा, य क मु ं झसेभी पू छा जाये गा, य क इस पर कृ पा? यह हारना था मु कदम, सजा होनी थी इसक छह साल क । सजा भी नह ंहु ई , उ टेयह पचास हजार पयेमु कदम म जीत भी गया। तो सजा मे र होगी। और वेपचास हजार म से कम सेकम प चीस हजार तो तु झेभरनेह पड़गेऔर तीन साल तो कम सेकम मु झेभी नक म काटनेपड़गे । तूप चीस हजार मु झेदेह दे ।’ वह आदमी तो ऐसा च का। उसनेकहा क ‘म बहु त महा माओ ं केपास गया, आप कै सी बात कर रहेहै ।’ मनेकहा, ‘म बात सीधी-साफ कर रहा हू ं । तू जो भाषा समझता हैवह बात कर रहा हू ं । या फर अपनी बात वापस लेले । मनेतो तु झसेकहा नह ं । मनेदावा कया नह ंक मने तु झ पर कृ पा क । म तो इनकार ह कर रहा हू ं , अभी भी इनकार कर रहा हू ं । ले कन अगर तूमानता हैमनेकृ पा क , तो फर ह सा कर ले ।’
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Osho World Online Hindi Magazine :: April 2013 वह तो बलकु ल पीछेजा कर बै ठ गया। मगर म दो-तीन दफा उसकेपास गया उठ-उठ कर, क ‘भै या, तू या करता है ? बं बई कर ब आयी जा रह है ’ वह तो अपना अखबार पढ़े । मनेकहा, ‘अखबार-वखबार बाद म पढ़ना, व पयेदेदे । फर बं बई म म तु झेकहांखोजता फ ं गा? ते र ा नाम या? ते रा पता
या?
बोला, ‘आप
य मे रेपीछेपड़ेह?’
मनेकहा, ‘कृ पा केव त तूमे रेपीछेपड़ा था।’ उसनेअपना सर ठ क लया। उसनेकहा, ‘म माफ मां गता हू ं । म आपकेचरण छू ता हू ं ।’ मनेकहा, ‘तो कह देक मनेकृ पा नह ंक ।’ उसेकहनेम भी डर लगे , य क उसेयह डर लगेक कह ंआगेकोई दचका न खाना पड़े । मनेकहा क ‘तूबलकु ल बे फ जब नणय होगा, तो म भी कह सकू ं गा क इसनेसाफ मना कर दया था क मनेकृ पा क ह नह ं ।’ वह न कहे । उसम उसक घबड़ाहट क पता नह ं , इन साध-ु महा माओ ं का
सेकह दे , ता क आगे
या। फर कल कोई झं झट म फं सा द। कसी तरह तो बचा हू ं ।
वह कहनेलगा, ‘आप मु झ पर कृ पा कर ।’ मनेकहा, ‘दे ख, एक कृ पा क , उसका तू नेअभी भु गतान भी नह ंकया, उधार ह चला रहा है । अब और कृ पा क ंते रेपर? तूमाफ मां ग लेऔर साफ कह देक आपनेकृ पा नह ंक , नह ंतो बं बई उतरतेह सेमे रेलोग वहांहोगे , पकड़ा दं ग नेमु झसेकहा है क मु कदमा तूझू ठ ा जीता ूा फौरन। और तू है , शोरगल ग ठ ा है । अदालत म घसीटू गा।’ ं ु मचा दं ुदमा झू ूा क इसका मक येजो लोग है , येसब बे ई मान ह। ले कन इनसेमहा मा भी
स न!
महा माओ क तो तु म बात ह छोड़ो, लोग दे वी-दे वताओ ंको, भगवान को, सबको र वत देरहेह। इस लए इस दे श सेर वत को मटाना बहु त मु ि कल है । -ओशो पुतकः यं गम ् शरणम ् ग छा म सेसं क लत
एक गं भीर मजाक-तीन बुध मनेतीन फक र केबारेम सन । उनकेनाम का कोई उ ले ख नाम नह ं य क उ ह नेकभी कसी को अपना नाम नह ंबताया, उ ह नेकभी कसी ुा है बात का जवाब नह ंदया इस लए चीन म उ ह बस ‘तीन हं सतेफक रो’ केनाम सेह जाना जाता है । वेएक ह काम करतेथे -वेकसी गां व म वे श करते , बाजार म खड़ेहो जातेऔर हं सना शु कर दे ते । अचानक लोग सजग हो जातेऔर वेअपनेपू रे ाण सेहं सते । फर दस खनेभर सेह पू र भीड़ भी हं सनेलगती। यह या हो ूरेलोग भा वत हो जातेऔर एक भीड़ जमा हो जाती और उनको दे रहा है ? फर पू र ा शहर सि म लत हो जाता और वेफक र कसी दस ते । उ ह बहु त े म कया जाता था। उनका यह एकमा उपदे श ूरेशहर को चल दे था, यह एक सं दे श था क हं स । और वेकु छ सखातेनह ंथे , बस प रि थ त पै दा कर दे तेथे । फर ऐसा हु आ क वेदे श भर म स ध हो गए-‘तीन हं सतेफक र’। पू र ा चीन उनको े म करता था, उनका स मान करता था। कसी नेभी इस तरह सेश ा नह ंद - क जीवन एक हं सी होना चा हए और अ यथा कु छ भी नह ं । और वेकसी यि त वशे ष पर नह ंहं स रहेथेले कन बस हं स रहेथे , जै सेक वे मं ड ीय मजाक को समझा गया ह । एक श द भी बना बोल उ ह नेपू रेचीन भर म बहु त आनं द फै लाया। लोग उनकेनाम पू छतेले कन वे बस हं स दे तेतो यह उनका नाम हो गया-‘तीन हं सतेफक र।’ फर वेव ृध हु ए और कसी गां व म, उनम सेएक फक र मर गया। पू र ा गां व अपेा करता था, बहु त अपेा सेभर गया था य क अब तो कम से कम उ ह रोना ह चा हए जब क क उनम सेएक फक र मर गया है । यह दे खनेजै सा होगा य क इन लोग केरोनेक कोई क पना भी नह ंकर सकता था। पू र ा गां व जमा हो गया। दो फक र तीसरेफक र क लाश केपास खड़ेथेऔर दल खोल कर हं स रहेथेतो गां व वाल नेपू छा, ‘‘कम सेकम यह तो समझाएं ।’’ तो पहल बार वेबोलेऔर उ ह नेकहा, ‘‘हम इस लए हं स रहेह क यह आदमी जीत गया। हम हमे शा ह सोचतेथेक कौन पहलेमरे गा और इस आदमी नेहम हरा दया। हम अपनी पराजय पर और उसक जीत पर हं स रहेह और फर, वह इतनेवष हमारेसाथ रहा और हम एक साथ हं सेऔर हमनेएक-दस दगी का आनं द लया उसेअं तम वदा दे नेका कोई और उपाय नह ंहो सकता। हम हं स भर सकतेहै ।’’ ूरेकेसाथ का, मौजू पू र ा गां व दखी कन जब मत ह को चता पर रखा गया तो पू रेगां व को पता चला क यह दोन नह ंहं स रहेथे -तीसरा, जो मर गया ृ फक र क दे ु था ले था वह हं स रहा था य क वह तीसरा यि त जो मर गया था, उसनेअपनेसा थय को कहा था, ‘‘मे रेकपड़ेमत बदलना।’’ ऐसा रवाज था क जब कोई यि त मर जाता तो वेउसकेकपड़ेबदलतेऔर उसकेशर र को नहलातेतो उसनेकह रखा था, ‘‘मु झेनहलाना मत य क म कभी भी गं दा नह ं रहा। मे रेजीवन म इतनी हं सी थी क कोई भी अशुधता मे रेपास जमा नह ंहो सकती, मे रेपास भी नह ंफटक सकती। मनेकोई धल ू इक ठ नह ं क ; हं सी सदा ह यु वा ताजी होती है । तो मु झेनहलाना मत और न ह मे रेकपड़ेबदलना।’’ तो बस उसेस मान कट करनेके लए, उ ह नेउसकेकपड़ेनह ंबदलेऔर जब शर र को चता पर रखा गया तो अचानक उ ह पता चला क उसने अपनेकपड़ो केनीचेबहु त-सी चीज छपा ल थींऔर वेसभी चीज शु हो गई-चीनी आ तशबाजी!! तो पू र ा गां व हं सा और वेदो फक र बोले , ‘‘बदमाश। तूमर गया, ले कन तू नेदोबारा हम हरा दया। ते र हं सी ह अं तम रह ।’’ जब इस
यां ड का पू र ा मजाक समझ लया जाता हैतो एक
यां ड ीय हं सी उठती है । वह उ चतम है । के वल कोई बुध ह उस भां त हं स सकता है ।
वेतीन फक र नि चत ह बुध रहेह गे ।’
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Osho World Online Hindi Magazine :: April 2013 -ओशो पुतकः यं गम ् शरणम ् ग छा म सेसं क लत
खराट क सं गत जो यि त रात व न ह दे खता रहा है , वह सु बह थका-मां दा उठता है । वह सु बह और भी थका होता है , िजतना क रात जब सोनेगया था-उससेभी यादा थका होता है य क रात भर और सपनेदे खे । सपन म जू झा। दखत- े त नेसताया। छाती पर ु व न। पहाड़ सेपटका गया, घसीटा गया। भू रा स नाचे । या- या नह ंहु आ। मुला नस द न एक रात को सोया हैऔर सपना दे ख रहा हैक भाग रहा हू ं , भाग रहा हू ं , ते जी सेभाग रहा हू ं । एक सहं पीछेलगा हु आ है । और वह कर ब आता जा रहा है । इतना कर ब क उसक सां स पीठ पर मालू म पड़नेलगी। तब तो मुला नेसोचा क मारेगये । अब बचना मु ि कल है । और जब सहंनेपं जा भी उसक पीठ पर रख दया, तो घबड़ाहट म उसक नीं द खु ल गई। दे खा, तो और कोई नह -ं प नी...। हाथ उसक पीठ पर रखे है ...। पि नयांनीं द म भी
यान रखती ह क कह ं भाग तो नह ंगये । कह ंपड़ोसी केघर म तो नह ंपहु ं च गये ।
मुला नेकहा, ‘माई। कम सेकम रात तो सो ले नेदया कर। दन म जो करना हो, कर। और नकल जा रह थी। यह कोई ढं ग है ।’
या मे र पीठ पर सां सेलेरह थी क मे र जान
एक दन सु बह-सु बह बै ठ कर अपनेम को सु ना रहा था क शे र के शकार को गया था। घं ट हो गये , शकार मलेह नह ं । सब म थक गये । मने कहा, मत घबड़ाओ, मु झेआवाज दे नी आती है , जानवर क । तो मनेसहंक आवाज क , गजना क । या मे र गजना करनी थी क फौरन एक गु फा म सेसहं नी नकल कर बाहर आ गयी। धड़ा-धड़ हमनेबं दक सला कया। ू मार , सहंनी का फै म
नेकहा, ‘अरे , तो तुह
इस तरह क आवाज करनी आती है । जरा यहांकरकेहम बताओ तो, कै सी आवाज क थी।’
मुला नेकहा,‘भाई, यहांन करवाओ तो अ छा।’ नह ंमानेम
क ‘नह ं , जरा करके , जरा-सा तो बता दो।’
जोश चढ़ा दया, तो उसनेकर द आवाज। और त काल उसक प नी नेदरवाजा खोला और कहा, ‘ य रे , अब तु झे या तकल फ हो गयी?’ मुला बोला, ‘दे खो। सहं नी हािजर। इधर आवाज द , तु म दे ख लो, खु द अपनी आं ख सेदे ख लो।’ प नी खड़ी हैवकराल भी बे लन उसके ।
प लयेवहां । हाथ म अभी
मुला नेकहा, ‘अब तो मानतेहो। क मझ खोगे , ऐसी आवाज बोलोगे , ऐसी आवाज ुेआती हैजानवर क आवाज।’ रात तम ु अगर ऐसेसपनेदे नकालोगे ...रात दे खो, लोग या- या आवाज नकालतेहै । कभी उठ कर बै ठ कर नर ण करनेजै सा होता है । म वष तक सफर करता रहा, तो मझ झट आ जाती थी। रात एक ह ड बेम कसी केसाथ सोना। एक बार तो यू ंहु आ , चार आदमी ुेअकसर यह झं ड बेम, मगर अ भु त सं योग था, चम कार कहना चा हए, क पहलेआदमी नेजो घु र ाहट शु क तो मनेकहा क आज सोना मु ि कल। मगर उसके ऊपर क बथ वालेनेजवाब दया तो मनेकहा, पहला तो कु छ नह ंहै -नाबा लग। दस ल गयी। ूरा तो गजब का था। मनेकहा, आज क रात तो ब कु और उनम ऐसेजवाब-सवाल होनेलगे । सं गत छड़ गयी। तीसर थोड़ी दे र चु प रहा, जो मे रेऊपर क बथ पर था, जब उसनेआवाज द , तब तो म उठ कर बै ठ गया। मनेकहा, अब बे कार है , अब चे टा ह करनी बे कार है । और उन तीन म या साज- सग ंार छड़ा। थोड़ी दे र तक तो मनेसु ना। मनेकहा क यह तो मु ि कल मामला है , यह पू र रात चलनेवाला है । तो मनेभी आं ख बं द क ंऔर फर म भी जोर से दहाड़ा। वेतीन म या साज- सग ंार छड़ा। थोड़ी दे र तक तो मनेसु ना। मनेकहा क यह तो मु ि कल मामला है , यह पू र रात चलनेवाला है । तो मनेभी आं ख बं द क ंऔर फर म भी जोर से दहाड़ा। वेतीन उठ कर बै ठ गये । बोलेक भाईजान, अगर आप इतनी जारेसेनीं द म और घु र ायगे , तो हम स ये गे । कै से ? मनेकहा, ‘सो कौन रहा हैमू ख। म जग रहा हू ंऔर तुह चे तावानी देरहा हू ंक अगर तु मनेहरकत क -न म सोऊं गा, न तुह सोने दं ग म रहे ूा। सो तु हो, म जग रहा हू ं । म ब कु ल जग कर आवाज कर रहा हू ं । नीं द म म आवाज नह ंकरता। तु म स हल कर रहो, नह ंतो म...रात भर म भी तुह नह ंसोनेदं ग ूा।’ लोग सोते या ह, रात म भी सु र - सग ंार चलता है । और या जवाब-सवाल। और फर उनकेभीतर कै सी मस । फर सब -मां देउठे , तो आ चय या। सोयेह नह ं । ुीबत म सेगज ुर रहेह गे ुह अगर थके
या चल रहा है , वह तु म सोच सकतेहो। कै सी-
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